नई दिल्ली : कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन पर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वाड्रा ने कहा कि जब भी वह सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं, तभी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग शुरू हो जाता है।
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पैदल पहुंचे ईडी दफ्तर, जताया विरोध
दूसरी बार समन मिलने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ईडी कार्यालय पैदल पहुंचे। यह कदम उन्होंने सरकार के खिलाफ विरोध जताने के तौर पर उठाया। पूछताछ के बाद मीडिया से बातचीत में वाड्रा ने कहा,
“हर बार जब मैं जनता के लिए बोलता हूँ, मेरी आवाज़ दबाने की कोशिश की जाती है।”
“23,000 दस्तावेज दिए, फिर भी बार-बार बुलाया जा रहा” – वाड्रा
रॉबर्ट वाड्रा ने दावा किया कि वह अब तक 15 से अधिक बार पूछताछ में शामिल हो चुके हैं, जहां हर बार 10 घंटे से ज्यादा समय तक सवाल-जवाब हुआ है।
उन्होंने कहा,
“मैंने 23,000 से ज्यादा दस्तावेज जमा किए हैं। यह सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध है। सरकार मुझे और राहुल गांधी को चुप कराना चाहती है।”
क्या है मामला?
मामला वाड्रा की कंपनी SkyLight Hospitality द्वारा 2018 में गुरुग्राम के शिकोहपुर में की गई एक ज़मीन खरीद से जुड़ा है।
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जमीन का आकार: 3 एकड़
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खरीदी गई कीमत: ₹7.5 करोड़
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बाद में बेची गई कीमत: ₹58 करोड़ (DLF को)
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आरोप: भूमि खरीद में नियमों की अनदेखी और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग
प्रवर्तन निदेशालय का शक है कि इस ज़मीन डील में आंतरिक जानकारी और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जिससे बाजार मूल्य से कई गुना ज़्यादा में सौदा हुआ।
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विपक्ष का आरोप – “जांच एजेंसियों का दुरुपयोग”
कांग्रेस लगातार यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए कर रही है। वाड्रा का बयान इसी कड़ी में एक और उदाहरण है।
पहले भी जारी हो चुका है समन
इससे पहले 8 अप्रैल को भी वाड्रा को समन भेजा गया था, लेकिन वह तब पेश नहीं हुए थे। अब 15 अप्रैल को वे ईडी के समक्ष पेश हुए, जहां लंबी पूछताछ की गई।
रॉबर्ट वाड्रा और प्रवर्तन निदेशालय के बीच की यह जाँच एक बार फिर सवालों के घेरे में है। क्या यह एक पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया है, या फिर वास्तव में राजनीतिक प्रतिशोध? इस पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में बढ़ता है।